इजराइल में भारतीय कामगारों की जिंदगी. युद्ध के बीच हनुमान जी की तस्वीर के साथ बंकर में शरण

इजराइल में रहने की चुनौतियां
लखनऊ के मलिहाबाद निवासी राम सिंह इजराइल में वेल्डिंग का काम करते हैं. वहां ईरान और अन्य देशों के साथ चल रहे संघर्ष ने हालात तनावपूर्ण बना दिए हैं. राम सिंह ने दैनिक भास्कर से वीडियो कॉल पर बताया कि मिसाइल हमले से पहले मोबाइल पर अलर्ट मैसेज आता है. इसके पांच मिनट बाद तेज सायरन बजता है, जिससे लोग दहशत में बंकर की ओर भागते हैं. हर घर, फैक्ट्री और ऑफिस में मजबूत बंकर बने हैं, जहां लोग हमले के दौरान शरण लेते हैं. राम सिंह ने अपने बंकर में हनुमान जी की तस्वीर रखी है, जिसे वे अपनी रक्षा का आधार मानते हैं.

सुरक्षा और डर के बीच जिंदगी
राम सिंह जुलाई 2024 से इजराइल में हैं. शुरुआत में मिसाइलों और विस्फोटों की आवाज से डर लगता था, लेकिन अब यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है. 11 जून 2025 को इजराइल के ईरान पर हमले के बाद स्थिति और बिगड़ गई. हमले से पहले दो घंटे का अलर्ट मिलता है, लेकिन सायरन बजने के बाद सिर्फ पांच मिनट में बंकर में पहुंचना होता है. बंकर में बेडरूम, किचन, वॉशरूम और एक सप्ताह का राशन होता है. इजराइल का आयरन डोम सिस्टम 95 प्रतिशत मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है, जिससे लोग सुरक्षित रहते हैं. फिर भी, बाजार में होने पर मिसाइलों का आसमान से आता दृश्य डरावना होता है.

परिवार की चिंता और नौकरी की मजबूरी
राम सिंह का परिवार लखनऊ में खबरों से चिंतित रहता है. वे उन्हें वापस बुलाना चाहते हैं, लेकिन राम सिंह पूरी सच्चाई नहीं बताते. अच्छे वेतन और रोजगार के लिए वे जोखिम उठा रहे हैं. इजराइल की मजबूत सुरक्षा व्यवस्था भी उन्हें भरोसा देती है. लखनऊ के इंदिरानगर निवासी सुनील कुमार, जो एक साल से इजराइल में हैं, बताते हैं कि रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक हमले होते हैं. ये नौ घंटे बेहद तनावपूर्ण होते हैं, लेकिन परिवार और रोजगार की खातिर वे वहां डटे हैं.

इजराइल में भारतीय कामगारों की संख्या अधिक है, और वे युद्ध जैसे हालात में भी काम कर रहे हैं. बंकरों में एसी, बेडरूम और सोफे जैसी सुविधाएं हैं, जो थोड़ी राहत देती हैं. फिर भी, हर सायरन के साथ तेज होने वाली दिल की धड़कनें और मिसाइलों की गूंज इस जिंदगी की कठिन सच्चाई बयां करती हैं.

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