पुरुषों के शरीर में समय-समय पर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम ज्यादा होता रहता है। जिसके वजह से पीरियड्स में दिखने वाले लक्षण जैसे- डिप्रेशन, थकान, चिंता, मूड स्विंग आदि पुरुष अनुभव करते हैं। इसी स्थिति को कुछ वैज्ञानिक पुरुषों का पीरियड्स कहते हैं। इसे मेडिकल भाषा में इरिटेबल मेल सिंड्रोम भी कहा जाता है।
मासिक धर्म(Periods) से हर महिने महिलाएं गुजरती हैं। यह उनके जिंदगी का अहम साथ ही साथ बेहद आम मसला है। लेकिन इसके लक्षण और इससे संबंधित परेशानियां हर औरत के लिए बहुत अलग और गंभीर हो सकते हैं। पर जब पीरियड्स को पुरुषों से जोड़ा जाने लगे तो यह मुद्दा दिलचस्प हो जाता है। और सवाल आता है, तो क्या पुरुषों को पीरियड्स होते हैं? आइए जानते हैं।
महिलाओं की तरह पुरुषों के शरीर में भी कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिसके वजह से वह महिलों को होने वाले प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों को अनुभव करते हैं। इस दौरान उन्हें महिलाओं की तरह ब्लीडिंग नहीं होती है लेकिन महसूस सब वैसा ही होता है। इसलिए कई लोग इसे मेल पीरियड्स भी कहते हैं। इसे मेडिकल भाषा में इरिटेबल मेल सिंड्रोम (IMS)भी कहा जाता है।
इरिटेबल मेल सिंड्रोम (IMS) को अतिसंवेदनशीलता, हताशा, चिंता और क्रोध की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह सिंड्रोम पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उतार-चढ़ाव के वजह से होता है। यह ज्यादे लंबे समय के लिए नहीं होता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि पुरुषों में इस सिंड्रोम का असर सिर्फ 24 घंटे तक ही रहता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बेहतर करने के साथ उनके शारीरिक और मानसिक विकास के महत्वपूर्ण होता है।
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में गड़बड़ी का सबसे बड़ा कारण होता है, मानसिक तनाव। यदि आप जरूरत से ज्यादा मानसिक तनाव लेते हैं तो आपको भी महिलाओं की तरह हर महीने मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन अनुभव हो सकता है।