चौंकाने वाले आंकड़े
डॉ. समीर मिश्रा ने बताया कि ट्रॉमा सर्जरी विभाग में आने वाले काफी मामलों में यह पाया गया कि सड़क दुर्घटना की वजह मोबाइल चलाते हुए वाहन चलाना था। मोटरसाइकिल और कार के साथ ही ट्रक और ट्रैक्टर ड्राइवर भी मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए वाहन चलाते हैं। यहां तक व्हाट्सएप चैटिंग तक चलती रहती है। इससे उनका ध्यान भंग होता है, जो दुर्घटना की वजह बनता है।
राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ. समीर मिश्रा के मुताबिक, तेज रफ्तार और शराब के मुकाबले अब मोबाइल फोन दुर्घटना के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार बनकर उभरा है। डॉ. समीर मिश्रा शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुए कॉन्क्लेव ऑफ मेडिकल इमरजेंसी एंड ट्रॉमा कार्यक्रम में बोल रहे थे।
समारोह के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार किया जा रहा है। इसके बावजूद कई बार देखा जाता है कि अस्पतालों में घायल और मरीजों को बेड नहीं मिल पाते। इसका मतलब है कि दुर्घटनाओं की संख्या ज्यादा रहती है।
पीजीआई के पूर्व डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि हमें इमरजेंसी पहचाननी होगी, तभी हम बेहतर इलाज कर पाएंगे। इस मौके पर सेक्टम के संस्थापक व अध्यक्ष डॉ. लोकेंद्र गुप्ता, आयोजन सचिव डॉ. शुभंकर पॉल, सह-सचिव डॉ. उत्सव आनंद मणि, डॉ. पुष्पराज सिंह, डॉ. एसएस त्रिपाठी और डॉ. मुस्तहसिन मलिक, आयुष एवं खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के प्रमुख सचिव रंजन कुमार, आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर श्री वेंकट, एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह, एम्स गुवाहाटी के निदेशक डॉ. अशोक पुराणिक और एसजीपीजीआई के इमरजेंसी विभाग प्रमुख डॉ. आरके सिंह मौजूद रहे।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की डॉ. मीनू बाजपेयी ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों के लिए हार्ट अटैक, लकवा और सड़क दुर्घटना जैसी इमरजेंसी से निपटने के लिए कम अवधि के पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए। इससे मरीज और घायलों को इलाज के लिए लंबी दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी।