आगरा । यू तो आगरा शहर ताजनगरी के नाम से जाना जाता है ताज यानी ताजमहल। नगरी यानी आगरा महानगर कुछ इस प्रकार ही ताजनगरी नाम का मतलब है और बड़े ही प्यार से हम इसे मोहब्बत की नगरी से जानते है। ताजनगरी में पूरे भारत से ही नही बल्कि पूरे विश्व से लोग आगरा में स्थित ताजमहल का दीदार करने पर्यटक आते है और ‘वाह ताज’ कह कर जाते है। लेकिन मोहब्बत की यही नगरी भिक्षावृत्ति का दाग झेल रही है। पर्यटक ताजमहल के दीदार के साथ साथ अन्य स्थलों का भी लुफ्त उठते है।
लेकिन हम आपका ध्यान एक ऐसी समस्या पर केंद्रित करना चाहते हैं जिसे हम सब हर रोज देखते है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसकी नजर ना गई हो और जिसने देखा ना हो। हम बात कर रहे है आगरा शहर कुछ ऐसे चौराहे और स्थानों की जहा पर भीख मांगते बच्चे और महिलाए जिन्होंने रोड पर आपकी गाड़ी का शीशा खटखटाया ही होगा। अगर आप बाइक सवार है तो आपके पैर पकड़ कर वह आपसे भी भिक्षा मांगी ही होगी वह कोन लोग है। कहा के रहने वाले है..? कहा से आए है..? किसी को नही पता।
इसी तरह आगरा घूमने आए पर्यटकों से भी इनका सामना अकसर होता ही होगा। आखिर हमारे जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, प्रशासन का ध्यान इस ओर कैसे नही जा पा रहा है हर रोज वह भी गुजरते ओर देखते ही होंगे। तो आखिर क्यों किसी तरह का कोई भी पुख्ता कदम नहीं उठाया गया.? क्यों इन लोगो की कोई सहायता या जानकारी करने क्यों कोई नही आ रहा। अगर पूर्व में कोई उठाया गया भी है तो फिर किसी प्रकार कोई निष्कर्ष नही निकल पाया। घूमने आया पर्यटक अपनी आंखो मे क्या तस्वीर लेकर जाता होगा।
यह एक गंभीर और आत्मा को झिंझोड़ देने वाला विषय है। आगरा के महात्मा गांधी रोड के मुख्य चौराहों पर यह नजारा आपको सारे आम देखने को मिल ही जायेगा। जहां छोटे छोटे बच्चे आपको भीख मांगते दिखाई दे ही जायेंगे। ट्रेफिक सिग्नल के बाद गाड़ियों के सामने ही वह खड़े हो जाते है, अगर इसी प्रकार से चलता रहा तो वो दिन दूर भीख मांगते वह बच्चे बीच चौराहे पर किसी हादसे का शिकार न हो जाए।
आर्थिक स्थिति: गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा का अभाव है, जिससे वे भीख मांगने पर मजबूर हो जाते हैं।
सामाजिक असुरक्षा: कई लोग इन बच्चों और महिलाओं की स्थिति को नजरअंदाज करते हैं, जिससे उनकी मदद नहीं हो पा रही है।
प्रशासनिक लापरवाही: स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है, जिससे स्थिति और गंभीर हो रही है।