सुप्रीम कोर्ट: इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान का उल्लंघन करता है क्योंकि यह कुछ धर्मों के लोगों को नागरिकता देने में भेदभाव करता है।
आईयूएमएल के तर्क:
- सीएए मनमाना कानून है और इसकी संवैधानिकता पर अभी फैसला होना बाकी है।
- यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित करता है।
- यह कानून देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकता है।
सीएए का विरोध:
- मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है और उन्हें नागरिकता से वंचित करता है।
- कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने भी सीएए का विरोध किया है।
- देश भर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं।
सीएए के बारे में:
- सीएए भारत के तीन पड़ोसी देशों – पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश – से धार्मिक उत्पीड़न के शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान करता है।
- इस कानून को 2019 में पारित किया गया था।
- सीएए को लेकर देश में काफी विवाद हुआ है।
अब आगे क्या?
- सुप्रीम कोर्ट आईयूएमएल की याचिका पर सुनवाई करेगा और फैसला सुनाएगा।
- सीएए को लेकर देश में बहस जारी रहने की संभावना है।