हाथरस में जो घटना हुई है उसके पीछे का सच जानकर आपके पैरों तले खिसक जाएगी जमीन!
अरे, अब तो बंद करो उसे सत्संग कहना और उस ढ़ोंगी को बाबा कहना है। बाबा और सत्संग शब्द का मतलब जानते भी हैं आप ? हाथरस में जो घटना घटी है उसके कुछ बिंदुओं पर जरा ध्यान दें….. जो व्यक्ति हिंदू धर्म को मानता हीं नहीं था उसका सत्संग कैसा? कोई एक लक्षण बात तो बता दो आप उसमें बाबाओं वाला जो आप बाबा बाबा शब्द की रट लगए हुए हैं। हाथरस घटना के दोषी और इस नरसंहार के जिम्मेदार ढ़ोगी सूरजपाल के पाखंड से हिंदू धर्म को न जोड़े, क्योंकि पाखंड लोग करते हैं धर्म कभी पाखंड नहीं करता। ये जो आज हाथरस में हुआ है वो इस ढ़ोगी व्यक्ति की पूजा करने के चलते ही हुआ है। अगर आप अपनी ईष्ट और भगवान की जगह किसी ढ़ोंगी की पूजा करेंगे तो प्रकृति भी उसके साथ ऐसा ही सलूक करती है। पद्मपुराण के खंड छह में हमारे तपस्वी मनीषियों ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूज्यानां च निरादर:।
त्रीणि तत्र प्रविशन्ति, दुर्भिक्षं,मरणं भयं॥
अर्थात- जहां पर अयोग्यों को पूजा जाता है और विद्वानों का निरादर किया जाता है। वहां तीन चीजें प्रवेश कर जाती है,
१.भुखमरी
२. मृत्यु
३. भय
आज हाथरस में इन अयोग्य माडर्न भेष भूषा वाले पाखंड़ी के चक्कर में इतनी संख्या में श्रद्धालु महिला एवं बच्चों की जो दुर्घटना हुई वह ठीक नहीं है, वह जखजोर देने वाला है। हाथरस की जिस सभा में सैकड़ों लोगों की जान गई उस बाबा को हिंदू धर्म से नहीं जोड़ें। क्योंकि वहां पर जिन लोगों की भीड़ थी, जो इस ढ़ोगी पाखंड़ी के अनुयायी थे वो हर धर्म के थे। आज इस ढ़ोगी के कारण असली साधु संत बदनाम हो रहे हैं। जो इस पाखंड़ी को बाबा कह रहे हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं।
पहली सवाल
- यह ढ़ोंगी सफेद कोट पेंट, टाई पहनता था। यह जूता पहनकर प्रवचन देता था। हिंदू धर्म में ऐसा कहां होता है?
- इस बाबा को कितने वेद पुराण का ज्ञान है? यह किस परंपरा से है? इसके गुरु कौन हैं?
- यह अपनी सभाओं में पानी देकर लोगों पर ढोंग करता था। इसके अंदर हिंदू साधु संतों वाले कोई गुण नहीं हैं।
बाबा से जुड़े कुछ तथ्य और हैं जिन्हें जानकर शायद आप पाखंड के इस खेल को समझ जाएं। साकार हरि उर्फ सूरज पाल जाटव जो खुद को भोले बाबा कहता है, इसकी बीवी का काफी पहले देहांत हो चुका है। इसके साथ खड़ी महिला इसकी बीवी नहीं बल्कि इसकी मामी है जिसे इसने चरित्रहीन होकर बीवी बनाया है। इस ढ़ोंगी का न हिन्दू धर्म से कोई लेना देना है न ही हिन्दू देवी देवताओं से, टाई और कोट पहने ये ढ़ोंगी खुद को ईश्वर बोलता था और खुद की पूजा करवाता था, ये पहले सिपाही था और एक लड़की से जबरदस्ती करने की वजह से इसे नौकरी से निकाला गया, ना कि इसने वीआरएस लिया.. हाथरस में हुए इस भीषड़ नरसंहार के दोषी इस ढ़ोंगी को क्या तत्काल गिरफ्तार नहीं करना चाहिए। यह सब जानकारी आने के बाद भी इसे बाबा बताना भी पाप ही है। दूसरी एक बात और बता दूं आपको कि हाथरस मामले पर जो लोग बार बार सत्संग बोल रहे हैं वे जान लें की सत्संग भगवान का होता है, और हाथरस में जो ढोंगी था वो भगवान को नहीं मानता। वो खुद को भगवान बताकर लोगों की भावनाओं से खेलता था और उन्हें बरगला कर अपनी पूजा करने पर विबश करता था। इसलिए कृपया अपने मित्रो को बताइए कि हाथरस में भगवान का नही इंसान का कुचक्र चल रहा था। इसकी आड़ में हिंदू देवी देवताओं और पूज्य पवित्र सनातन धर्म पर उंगली ना उठाएं। सनातन सदा सर्वदा सत्य है और युग युगांतर तक कोई भी सनातन की शक्तियों को क्षीण नहीं कर सकता। मैं कहता हूंं इस घटना के बाद भी अगर आप नहीं जागे तो कल को फिर कोई ढ़ोगी आएगा, आपको बरगलाएगा और आप उसके झांसे में आकर फिर कोई गलती कर बैठेंगे। इसलिए जरूरत है आज ऐसी पाखंड़ी व्यक्ति का समूल नाश करने की। मैं आपसे पूंछना चाहता हूं कि आपमें से कौन कौन लोग इस पाखंड़ी का अंत होते देखना चाहते हैं। कौन कौन चाहता है कि इसे सैकड़ों लोगों की मौत के जुर्म में फांसी की सजा मिलनी चाहिए। अगर हां तो अपना जबाव हमारे कमेंट बॉक्स में लिखें और खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें जिससे लोगों को सबक मिल सके
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