Pay कमिशन : भारत पेंशनर समाज ने उठाई 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग, कैसे मिलेगा 18 माह के DA का एरियर?

केंद्र एवं राज्यों में ‘पुरानी पेंशन’ को लेकर आंदोलन जारी है। जनवरी 2024 में भूख हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारी हो रही है। हालांकि अभी देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि की घोषणा होना बाकी है। 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर केंद्र सरकार ने दो टूक जवाब दिया है, उस पर करीब दो करोड़ कर्मचारियों एवं पेंशनरों की नाराजगी देखी जा रही है।

कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित न करने के फैसले को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन करने की बात कही है।

अब ‘भारत पेंशनर समाज’ ने भी 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग उठाई है। साथ ही कोरोनाकाल के दौरान रोके गए 18 माह के डीए का एरियर जारी करने के लिए सरकार से आग्रह किया है। देशभर में इस संगठन के साथ दस लाख से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं।

सरकार को दस वर्ष का इंतजार करने की जरूरत नहीं

‘भारत पेंशनर समाज’ (बीपीएस) के महासचिव एससी महेश्वरी ने बताया, 18 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित हुई 68वीं एजीएम के दौरान उक्त प्रस्ताव पास किया गया है। एजीएम में 21 प्रदेशों की 225 पेंशनर एसोसिएशन के 450 डेलिगेट्स ने हिस्सा लिया था। बैठक में लिए गए निर्णयों से भारत सरकार के एम/ओ पर्सनल, एआर, पीजी एंड पेंशन, सचिव व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय) और सचिव डीओपीटी को अवगत कराया गया है। एससी महेश्वरी के मुताबिक, सरकार से अविलंब आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग की गई है। ये कर्मियों और पेंशनरों का हक है।

सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि सरकार को वेतन आयोग के गठन के लिए दस वर्ष का इंतजार नहीं करना चाहिए। ऐसा पहले भी संभव है। पिछला वेतन आयोग जनवरी 2014 में गठित हुआ था। दो वर्ष बाद यानी 2016 में आयोग की सिफारिशें लागू की गईं। आयोग को अपनी रिपोर्ट देने में करीब दो वर्ष लगते हैं, जबकि उसके बाद सरकार भी छह माह या एक साल का समय ले लेती है। तब कहीं जाकर आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं।

नियमानुसार, आठवें वेतन आयोग का गठन, अब हो जाना चाहिए। अगर अब यह आयोग गठित होता है तो 2026 में इसकी सिफारिशें लागू हो सकती हैं।

सरकार ने तब बचा लिए थे 34,402.32 करोड़ रुपये

केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। उनका यह बयान दर्शाता है कि केंद्र सरकार की आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई मंशा नहीं है। बतौर महेश्वरी, देश में लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में सरकार को आठवें वेतन आयोग के गठन में देरी नहीं करनी चाहिए।

आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की घोषणा नहीं हो सकेगी। इस संबंध में सरकार से आग्रह किया गया है कि बिना किसी देरी के आठवां वेतन आयोग गठित किया जाए। इसके अलावा सरकार से यह भी मांग की गई है कि कोरोनाकाल के दौरान रोके गए डीए के 18 माह का एरियर जारी किया जाए। केंद्र सरकार ने कोरोनाकाल के दौरान रोके गए 18 फीसदी ‘डीए’ का एरियर देने से मना कर दिया है। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने भी यह मुद्दा उठाया था।

स्टाफ साइड का प्रतिनिधित्व करते हुए श्रीकुमार ने डीओपीटी के सचिव (पी) से आग्रह किया है कि 18 माह के ‘डीए’ का एरियर, कर्मियों का हक है। कर्मियों व पेंशनरों को डीए/डीआर का एरियर जारी किया जाए। कोरोनाकाल में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों का उक्त भुगतान रोक कर 34,402.32 करोड़ रुपये बचा लिए थे।

प्रधानमंत्री मोदी को भी लिखा है पत्र

कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि मौजूदा परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। अब आठवें वेतन आयोग के गठन का सही समय है। केंद्र सरकार के कर्मचारी, सरकार की रीढ़ की तरह काम करते हैं। ये कर्मचारी, सरकार की नीतियों को आम जन तक पहुंचाने का काम पूरी तन्मयता से करते हैं। केंद्र सरकार में पिछली बार 2016 में वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं।

इसके बाद देश में कोविड संक्रमण हुआ। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को भारी इजाफा देखा गया। प्रोडक्शन इंडस्ट्री, निर्माण और स्वास्थ्य सेक्टर में भी तेजी देखने को मिली। ब्याज की ऊंची दरें भी सरकारी कर्मियों के लिए मुसीबत का सबब बनी। महंगाई दर भी औसतन 4 से 7 फीसदी के बीच रही है। यादव ने अपने पत्र में पांचवें और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का भी जिक्र किया है।

दस साल की अवधि पर वेतन आयोग का गठन होना चाहिए। साथ ही डीए/डीआर की दर अगर पचास फीसदी के पार हो जाती है, तो वेतन भत्तों में बदलाव होता है। इससे पहले गठित हुए वेतन आयोगों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में करीब दो वर्ष का समय लिया है। इसके बाद सरकार भी रिपोर्ट को लागू करने में छह माह से एक वर्ष का समय ले लेती है।

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