प्रिया सरोज-रिंकू सिंह की रिंग सेरेमनी बनी सपा की PDA पॉलिटिक्स का मंच

लखनऊ के सेंट्रम होटल में 8 जून 2025 को सांसद प्रिया सरोज और क्रिकेटर रिंकू सिंह की सगाई समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ। यह आयोजन केवल एक निजी रस्म नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए एक बड़ा सियासी मंच बन गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी सांसद डिंपल यादव, जया बच्चन और रामगोपाल यादव के साथ पहुंचकर इसे राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन बनाया।

सपा का ‘पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक’ (PDA) मॉडल इस समारोह में साफ झलका। अखिलेश की 1 घंटे 10 मिनट की मौजूदगी ने स्पष्ट किया कि यह सगाई सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सपा की सामाजिक और राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस ने कहा, “अखिलेश ने इस मंच का इस्तेमाल दलित युवा नेतृत्व को प्रोजेक्ट करने और सपा के विकल्प को मजबूत करने के लिए किया।”

बीजेपी की ओर से केवल केंद्रीय राज्य मंत्री कमलेश पासवान शामिल हुए। कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया, जिससे सपा का सामाजिक और सियासी दबदबा और उभरकर सामने आया। प्रिया सरोज के पिता और केराकत से सपा विधायक तूफानी सरोज ने जब 8 जून को रिंग सेरेमनी की बात लीक की, तभी से यह आयोजन चर्चा में आ गया। भले ही मीडिया को प्रवेश न मिला, लेकिन सेंट्रम होटल के बाहर कैमरों की मौजूदगी ने इसे सुर्खियों में ला दिया।

पूर्वांचल की सांसद प्रिया और पश्चिम यूपी के क्रिकेटर रिंकू का यह रिश्ता भौगोलिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया। अलीगढ़ से जौनपुर तक के नेताओं की मौजूदगी ने इसे पूरे यूपी में सियासी संदेश देने वाला बनाया। लखनऊ कैंट के पंडित उमेश त्रिवेदी ने शुभ मुहूर्त (12:30 से 4:00 बजे) में पूजा-पाठ और मंत्रोच्चार के साथ सगाई संपन्न कराई। कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला रिंकू की ओर से शामिल हुए। रिंकू के माता-पिता और सपा नेताओं ने नवयुगल को आशीर्वाद दिया।

यह सगाई सपा की उस रणनीति को रेखांकित करती है, जिसमें प्रिया सरोज जैसे युवा दलित चेहरों को आगे बढ़ाकर पार्टी बहुजन राजनीति में नया नेतृत्व गढ़ना चाहती है। यह चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं से अलग, सपा के अपने ढांचे में दलित-पिछड़ा गठजोड़ को मजबूत करने का संदेश देता है।

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