उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द बड़ा झटका लग सकता है. पावर कॉर्पोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों में 40 से 45 फीसदी बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव दाखिल किया है. यदि यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम फिक्स चार्ज 8 रुपये प्रति यूनिट और शहरी उपभोक्ताओं के लिए 9 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगा. फिक्स चार्ज, विद्युत कर और अन्य शुल्क जोड़कर प्रति यूनिट लागत 12 से 13 रुपये तक पहुंच सकती है. यह बढ़ोतरी आम उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ सकती है.
पावर कॉर्पोरेशन के प्रस्ताव में फिक्स चार्ज में भी बड़ा बदलाव सुझाया गया है. शहरी क्षेत्रों में फिक्स चार्ज 110 रुपये से बढ़ाकर 190 रुपये प्रति किलोवाट और ग्रामीण क्षेत्रों में 90 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव है. पहले बिजली दरों के चार स्लैब थे, जिन्हें अब घटाकर तीन कर दिया गया है. कुछ स्लैब में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी प्रस्तावित है. इससे उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका है.
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है. परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे असंवैधानिक बताते हुए नियामक आयोग से खारिज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में गरीबों को 100 यूनिट तक 3 रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का वादा था, लेकिन अब इसे 4 रुपये प्रति यूनिट किया गया है. वर्मा ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन ने फिक्स चार्ज में बड़ा खेल किया है. उन्होंने बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस बकाया है, लेकिन इसे लौटाने पर कोई चर्चा नहीं हो रही.
वर्मा ने सोमवार को नियामक आयोग में लोकमहत्व प्रस्ताव दाखिल कर अपनी आपत्तियां दर्ज कीं. उन्होंने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय सिंह से मुलाकात कर प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की. यह प्रस्ताव यदि लागू हुआ तो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा. उपभोक्ता परिषद ने चेतावनी दी है कि यह बढ़ोतरी आम जनता के लिए अन्यायपूर्ण होगी और इसका व्यापक विरोध किया जाएगा.