मणिपुर। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर एक रिट याचिका के आधार पर यह रिपोर्ट मांगी है। जिसमें इन कथित टेप्स की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) से वह रिपोर्ट मांगी है, जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के कथित रूप से राज्य में जारी जातीय हिंसा में शामिल होने की संभावना को लेकर ऑडियो टेप लीक होने का दावा किया गया है। इस हिंसा में मई 2023 से अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोगों के बेघर होने की खबर भी सामने आ रही हैं।
मणिपुर में जातीय हिंसा 3 मई 2023 को मणिपुर के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई थी। केंद्र ने पहाड़ी और घाटी जिलों की सीमाओं पर संवेदनशील क्षेत्रों में बलों को तैनात किया है। कुकी संगठन की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ऑडियो क्लिप्स की जांच देश की एकमात्र स्वतंत्र फोरेंसिक साइंस लैब टूथ लैब्स द्वारा की गई, जो दिल्ली में स्थित है। लैब ने प्रमाणित किया कि इन क्लिप्स में आवाज़ मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की आवाज़ से 93 प्रतिशत मेल खाती है।
क्या हैं सीएम बीरेन सिंह पर आरोप:-
भूषण ने कोर्ट को बताया कि रिकॉर्डिंग एक बंद कमरे की बैठक में हुई थी। जिसमें मुख्यमंत्री यह कहते हुए सुनाई देते हैं कि उन्होंने मैतेई समुदाय को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी और उन्हें राज्य के शस्त्रागार से चोरी करने की अनुमति दी। भूषण नेआगे कहा कि टूथ लैब्स की रिपोर्ट सरकारी एजेंसियों द्वारा जांचे गए ऑडियो क्लिप्स की तुलना में अधिक विश्वसनीय है।
दरअसल, नवंबर 2024 में कुकी संगठन ने टूथ लैब्स की रिपोर्ट पेश की थी। सोमवार को हुई सुनवाई में, मणिपुर राज्य का प्रतिनिधित्व कर रह भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन क्लिप्स की जांच की जा रही है और इस संबंध में एक एफआईआर दर्ज की गई है।
हाल ही में मुख्यमंत्री ने मणिपुर के लोगों से हिंसा के लिए माफी मांगी थी और लोगों से अपील की थी कि वे अतीत की बातों को भूल जाएं और शांति की ओर ध्यान दें। हालांकि, विपक्ष ने बीरेन सिंह की आलोचना की और कहा कि हिंसा के 19 महीने बाद उनकी माफी पर्याप्त नहीं थी।