शराब की दुकानों की शिफ्टिंग को लेकर विरोध

स्थानीय निवासियों ने किया प्रदर्शन

भोपाल। भोपाल में शराब की दुकानों की शिफ्टिंग से नागरिकों में तनाव और विरोध शुरू हो गया है। वही मालवीय नगर में नई शराब दुकान को लेकर औरते काले झंडे लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। संत हिरदाराम नगर, सांई राम कॉलोनी और बावड़ियाकलां चौक में भी इसी तरह का विरोध हुआ है।

भोपाल में शराब की दुकानों को दूसरी जगह ले जाने का विरोध हो रहा है। सरकार 19 धार्मिक स्थलों से शराब की दुकानें बंद कर रही है। इसके साथ ही लेकिन भोपाल में दुकानों को शिफ्ट करने से लोग परेशान हैं। मालवीय नगर में एक नई दुकान खुलने वाली है, जिसका लोग विरोध कर रहे हैं। वे इसे कहीं और ले जाने की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दे रहे हैं।

एमपी सरकार प्रदेश के 19 धार्मिक स्थलों से शराब की दुकानें हटाने जा रही है। दूसरी तरफ, भोपाल में शराब की दुकानों को शिफ्ट करने को लेकर विवाद हो रहा है। शहर में दो जगहों पर शराब की दुकानें खुलने वाली हैं। इससे आसपास के लोग परेशान हैं और विरोध कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।

भोपाल में शराब की दुकानों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है। मालवीय नगर में एक शराब की दुकान खुलने वाली है। इसका लोग विरोध कर रहे हैं और यह मामला बढ़ता जा रहा है। शनिवार को कई महिलाएं हाथों में काले झंडे लेकर प्रदर्शन करने पहुंचीं। उन्होंने काले झंडे लहराकर अपना विरोध जताया। लोगों का कहना है कि दुकान को कहीं और ले जाया जाए, नहीं तो वे बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

संत हिरदाराम नगर सांई राम कॉलोनी सेमरा और बावड़ियाकलां चौक के लोग भी पहले शराब की दुकानें खुलने का विरोध कर चुके हैं। अब मालवीय नगर में पत्रकार भवन के सामने चौथी दुकान का विरोध हो रहा है। लोगों का कहना है कि यहां 1 अप्रैल से नई दुकान खुलने की बात चल रही है।

लोगों का मानना है कि वार्ड नंबर-34, मालवीय नगर में नई शराब की दुकान खुल रही है। इसके पास में विधायक रेस्ट हाउस और बिड़ला मंदिर है। यहां पर रिहायशी इलाका भी है। लोगों का कहना है कि अगर यहां शराब की दुकान खुलती है तो वे भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन भी करेंगे। नागरिकों ने कहा कि दुकान खुलने से उन्हें बहुत परेशानी होगी। इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे हर हाल में दुकान को यहां नहीं खुलने देंगे। अगर प्रशासन उनकी बात नहीं सुनता है तो वे आंदोलन करेंगे।

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