शिमला समझौता विवाद. भाजपा का इंदिरा गांधी पर हमला. कांग्रेस का जवाब

निशिकांत दुबे के आरोप. पवन खेड़ा का पलटवार

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर निशाना साधते हुए शिमला समझौते को अमेरिकी दबाव का नतीजा बताया. सोमवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राज्यसभा चर्चा का एक दस्तावेज साझा किया. दुबे ने सवाल उठाया कि इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध के बाद भारत के नियंत्रण वाले 5000 वर्ग मील क्षेत्र को पाकिस्तान को क्यों सौंपा. उन्होंने यह भी पूछा कि 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को रिहा करने के बदले भारत के 56 सैनिकों को पाकिस्तानी जेलों में क्यों छोड़ा गया. दुबे ने दावा किया कि तत्कालीन रक्षा मंत्री महावीर त्यागी ने ये सवाल उठाए थे. लेकिन इंदिरा गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया.

इस बयान पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने निशिकांत दुबे पर तंज कसते हुए उन्हें व्हाट्सएप नर्सरी का छात्र बताया. खेड़ा ने कहा कि दुबे को प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर शिमला समझौते को रद्द करने की मांग करनी चाहिए. उन्होंने मीडिया से ऐसे बयानों पर समय बर्बाद न करने की अपील की. खेड़ा ने भाजपा पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि 1971 की जीत को कमतर दिखाने की कोशिश हो रही है.

इससे पहले. दुबे ने रविवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी हमला बोला था. उन्होंने राहुल के अंग्रेजी भाषा को अवसर बताने वाले बयान की आलोचना की. दुबे ने कहा कि राहुल गांधी अंग्रेजी को गुलामी का प्रतीक मानते हैं. जबकि 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति. जिसे राजीव गांधी ने लागू किया था. हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात करती थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2020 की शिक्षा नीति भी इसी दिशा में काम कर रही है. दुबे ने सवाल किया कि जब रूस. चीन और जापान अपनी भाषाओं पर गर्व करते हैं. तो भारत अंग्रेजी को क्यों तरजीह दे.

यह विवाद शिमला समझौते की ऐतिहासिक प्रासंगिकता और 1971 के युद्ध के फैसलों पर सियासी बहस को फिर से गर्म कर रहा है. सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग इंदिरा गांधी के फैसले को रणनीतिक मानते हैं. तो कुछ इसे कमजोरी बताते हैं. यह खबर कॉपीराइट मुक्त है और इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है.

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