आगरा को स्मार्ट सिटी का दर्जा भले ही मिला हो, लेकिन मंगलवार को आई पहली प्री-मानसून बारिश ने इस दावे की पोल खोल दी। तेज़ बारिश के बाद शहर की सड़कें जलमग्न हो गईं, कई जगह सड़कें धंस गईं और दर्जनों गाड़ियां पानी में फंस गईं। मुख्य सड़कों से लेकर मोहल्लों तक, हर जगह पानी ही पानी नजर आया। टेढ़ी बगिया चौराहे पर तो हालात इतने खराब हो गए कि एक बस फंसने से अलीगढ़ रोड पर करीब तीन घंटे लंबा जाम लग गया।
नगर निगम की ओर से नालों की सफाई और जलभराव रोकने के दावों के बावजूद शहर के दर्जनों इलाकों में पानी भर गया। बल्केश्वर, कालिंदी विहार, महावीर नगर, मुगल रोड, यमुना किनारा, केदार नगर, मानस नगर, और बिजलीघर जैसे प्रमुख स्थानों पर सड़कों पर एक से ढाई फुट तक पानी जमा हो गया। जलभराव के चलते कई घरों और दुकानों में भी पानी घुस गया, जिससे फर्नीचर, कपड़े, जूते और अन्य सामान पूरी तरह खराब हो गए।
दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन के वादे सिर्फ कागज़ों में ही रहे। राजामंडी, बल्केश्वर और खेरिया मोड़ जैसे बाजारों में दुकानों में पानी घुसने से भारी नुकसान हुआ। वहीं दयालबाग, सौ फुटा रोड और पुष्पांजलि गार्डन के पास सड़क और नाले की पहचान तक मुश्किल हो गई — जिससे कई लोग गिरते-गिरते बचे। आवास विकास कॉलोनी, महर्षिपुरम और गैलाना क्षेत्र में सड़कों के धंसने से कारें जमीन में धंस गईं, और लोगों को खुद ही उन्हें निकालने की मशक्कत करनी पड़ी।
हालात बिगड़ते देख नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल खुद सड़कों पर उतरे और अफसरों को पंप लगाकर पानी निकालने के निर्देश दिए। नगर निगम ने 24 घंटे का कंट्रोल रूम भी सक्रिय किया है, जहां लोग जलभराव की शिकायतें 1533 या 18001803015 पर दर्ज करा सकते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है — क्या हर बारिश के बाद यही हाल होगा? और क्या ‘स्मार्ट सिटी’ सिर्फ पोस्टर और प्रोजेक्ट तक सीमित रह जाएगी?