पश्चिम बंगाल में 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत कर आए TMC विधायकों को शुक्रवार (5 जुलाई) को स्पीकर बिमान बनर्जी ने शपथ दिलाई। गवर्नर आनंद बोस ने इसे असंवैधानिक बताया। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू को लेटर भी लिखा।
आनंद बोस ने संविधान के आर्टिकल 188 का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि विधायकों की शपथ के लिए डिप्टी स्पीकर को जिम्मा दिया गया था। संविधान और परंपराओं के मुताबिक राज्यपाल शपथ के लिए जिसे अधिकृत करता है, शपथ उसे ही दिलानी होती है।
लोकसभा चुनाव के पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के भगवानगोला विधानसभा सीट और कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में बारानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। बारानगर सीट से TMC नेता और एक्ट्रेस सायंतिका बंदोपाध्याय जीतीं। वहीं, भगवानगोला विधानसभा सीट से TMC के रयात हुसैन सरकार जीते। दोनों विधायकों को राज्यपाल आनंद बोस ने शपथ लेने के लिए राजभवन बुलाया। दोनों विधायकों ने इनकार करते हुए कहा था हमारी शपथ विधानसभा में होनी चाहिए। उपचुनाव जीतने के मामले में राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी देते हैं। दोनों विधायकों ने अपनी मांग को लेकर अंबेडकर की मूर्ति के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर विधायकों के शपथग्रहण के मामले में हस्तक्षेप करने को कहा।7 दिन तक चले धरना प्रदर्शन के बाद गवर्नर आनंद बोस ने 4 जुलाई को विधानसभा उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी को दोनों विधायकों के शपथ दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी। शुक्रवार यानी 5 जुलाई को उपाध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही के नियम 5 के मुताबिक अध्यक्ष के होते हुए मैं शपथ नहीं दिला सकता। इसके बाद स्पीकर बिमान बनर्जी ने दोनों विधायकों को शपथ दिलाई। विधायकों के शपथ लेने पर विधानसभा के टीएमसी सदस्यों ने ‘जय बांग्ला’ के नारे लगाए। इसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। स्थगन के कुछ देर बाद आनंद बोस ने X पर पोस्ट कर शपथ ग्रहण को असंवैधानिक बताया।
विधायक सांयतिका बोलीं-हमें विधानसभा के भीतर शपथ लेकर बहुत खुशी हुई। हमारे शपथ ग्रहण में देरी के कारण हम विधायक के रूप में अपने निर्वाचन क्षेत्रों की सेवा करने में असमर्थ थे। हमारे कार्यकाल का समय दो साल से भी कम है। ऐसे में जनता की सेवा के लिए समय महत्वपूर्ण था। मेरे क्षेत्र की जनता को सेवा नहीं मिल पाई, इसके लिए गवर्नर जिम्मेदार हैं।
संविधान के आर्टिकल 188 और आर्टिकल 193 में विधायकों की शपथ की प्रक्रिया और अधिकार का जिक्र है। आर्टिकल 188 में कहा गया है कि किसी भी राज्य की विधानसभा या विधान परिषद का हर एक सदस्य को राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष ही शपथ लेना होगा। यदि विधायक आर्टिकल 188 के तहत शपथ नहीं लेता है और विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हो जाता है तो आर्टिकल 193 में विधायक के लिए दंड का प्रावधान है।