नई दिल्ली। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार कर लिया गया है, कि जिसमें पीड़िता के चचेरे भाई की 14 जून, 2022 की एफआईआर को खारिज करने से इन्कार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जांच के दौरान यह स्थापित हुआ कि पीड़िता ने अपनी मर्जी से अपीलकर्ता के साथ विवाह भी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वैवाहिक दुष्कर्म के अपवाद का हवाला देते हुए एक व्यक्ति के खिलाफ उसकी पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर को खारिज ही कर दिया गया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने अपीलकर्ता कुलदीप सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं पाया गया है। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार कर लिया गया है,कि जिसमें पीड़िता के चचेरे भाई की 14 जून, 2022 की एफआईआर को खारिज करने से इन्कार ही कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जांच के दौरान यह स्थापित हुआ कि पीड़िता ने अपनी मर्जी से अपीलकर्ता के साथ विवाह भी किया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता ने सही कहा है कि आईपीसी की धारा 375 के तहत अपवाद-2 के अनुसार, किसी व्यक्ति के अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता है। लिहाजा कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ धारा 376 के तहत आरोप कायम ही नहीं रह सकता है। पीठ ने यह भी पाया कि अपीलकर्ता की वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका पर पीड़िता द्वारा दायर जवाब में उसने अपीलकर्ता के खिलाफ दशक या जबरन शादी का कोई भी आरोप नहीं लगाया जा सकता है।
अपीलकर्ता ने कहा है कि उसने और महिला ने 15 जून, 2022 को अपने रिश्तेदारों की इच्छा के विरुद्ध सिख रीति-रिवाजों और समारोहों के अनुसार एक-दूसरे से विवाह भी किया था। शादी के तुंरत बाद पीड़िता के परिवार के सदस्यों द्वारा विरोध के मद्देनजर, विवाहित जोड़े ने 16 जून, 2022 को हाईकोर्ट के समक्ष अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा की याचिका भी दायर कराई गई थी। हाईकोर्ट ने दंपति को सुरक्षा भी दे दी गई थी। उसके बाद ही पीड़िता अगस्त, 2022 को अपने माता-पिता के घर वापस आ गई थी। इसके बाद महिला ने बयान बदलते हुए अपीलकर्ता पर दुष्कर्म का आरोप भी लगाया था।