आगरा में फर्जी आरसी और नंबर प्लेट के साथ वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के अधिकारी इस गंभीर मसले से अनजान बने हुए हैं. पुलिस ने हाल ही में कई वाहन चोर गिरोहों का पर्दाफाश किया, जिन्होंने फर्जी आरसी बनाकर चोरी के वाहनों को बेचने का खुलासा किया. फर्जी नंबर प्लेट लगे वाहन भी पकड़े गए हैं. इन घटनाओं ने आरटीओ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आशंका जताई जा रही है कि आरटीओ से ही फर्जी आरसी के कागज बाहर जा रहे हैं.
शनिवार को फतेहाबाद थाना पुलिस ने एक वाहन चोर गिरोह को पकड़ा. गिरोह के सदस्यों ने बताया कि वे चोरी के वाहनों पर फर्जी आरसी बनाकर उन्हें बेचते थे. इसी तरह, हरीपर्वत थाने में दो दिन पहले फर्जी नंबर प्लेट वाले वाहन पकड़े गए. इन खुलासों से साफ है कि जिले में फर्जी दस्तावेजों का बड़ा रैकेट चल रहा है. इस पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी आरटीओ प्रवर्तन दल की है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढिलाई बरती जा रही है. चार महीने पहले आरटीओ कार्यालय में फर्जी आरसी के मामलों की जांच के लिए अभियान चलाया गया था. तब हर आरसी पेपर की गिनती कर रजिस्टर में रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए गए थे.
आरोप है कि आरसी के कागज दलालों को बेचे जा रहे हैं. वाहन चोरों के ताजा खुलासों ने इस शक को और गहरा कर दिया है. आरसी कागजों पर कोड और नंबर सीरीज अंकित होती है, जिससे असली और नकली दस्तावेजों की पहचान संभव है. फिर भी, इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही. एआरटीओ (प्रशासन) एनसी शर्मा ने कहा कि आरसी पेपर का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के निर्देश हैं और फर्जी आरसी व नंबर प्लेट पर प्रवर्तन दल कार्रवाई करता है. लेकिन, बार-बार पकड़े जा रहे फर्जी दस्तावेज इस दावे की पोल खोल रहे हैं.
इस बीच, आरटीओ में बड़े पैमाने पर तबादले हुए हैं. एआरटीओ एनसी शर्मा, आरआई उमेश कटियार सहित 13 लिपिकों का स्थानांतरण किया गया है. 24 लिपिकों वाले कार्यालय में 13 के तबादले से कामकाज पर असर पड़ सकता है. तबादला रुकवाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. इन घटनाओं ने न केवल आरटीओ की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि शहर में वाहन चोरी और फर्जी दस्तावेजों के रैकेट पर काबू पाने की जरूरत को भी रेखांकित किया है.