- बरौली अहीर का एकमात्र मंदिर जिसे मिली 1 करोड़ का सहायता राशि
- राजा कलिंग की कुलदेवी पर वर्ष में 2 बार लगता हैं मेला
इटौरा। आगरा ग्वालियर रोड़ जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी स्तिथ बरौली अहीर के ग्राम पंचायत इटौरा में स्थित देवी माँ का विग्रह जो 300 वर्षों से अधिक समय से भक्तों की मुराद पूरी करने का कार्य कर रहा है। इस ऐतिहासिक मंदिर की सजनी सजाने व संवारने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक करोड रुपए की मोटी राशि उपलब्ध करवाई है। जिससे मंदिर के भव्यता और दिव्यता में चार चांद लग जाएंगे। इस प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर पर वर्ष में दो बार मिला भी लगता है ।
कैला देवी मंदिर इटौरा का इतिहास
मंदिर का इतिहास 11वीं शताब्दी के आसपास शुरू होता है, जब एक योगी बाबा एक बैलगाड़ी पर देवी की मूर्ति लेकर जा रहे थे। एक बैलगाड़ी के जंगल में रुक जाने पर, देवी की इच्छा मानकर वहीं मंदिर की स्थापना की गई। मंदिर का निर्माण 1723 में करौली रियासत के महाराजा गोपाल सिंह ने शुरू करवाया और 1730 में यह पूरा हुआ।
प्राचीन मान्यताएं
कैला देवी को महायोगिनी माया का रूप माना जाता है, जो कंस से बची थीं। एक अन्य मान्यता के अनुसार, वे भगवान कृष्ण की बहन थीं। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर की यात्रा तब पूरी होती है, जब भक्त राजस्थान के करौली में स्थित कैला देवी मंदिर के भी दर्शन कर लेते हैं।
निर्माण और विकास
महाराजा गोपाल सिंह ने 1723 में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया। उन्होंने चामुंडा जी की मूर्ति भी स्थापित की थी, जिसे उन्होंने गागरौन के किले के पास एक गुफा से लाया था। मंदिर का पुनर्निर्माण मुरसान की रानी कुंदन देवी ने भी कराया था, जिसके बाद से यहां हर साल मेला लगता है।
धार्मिक महत्व
यह मंदिर राजा कालिंग की कुलदेवी मानी जाती हैं। यहां नौसिखिए भक्तों द्वारा ‘नेजा’ यानी ध्वजा चढ़ाई जाती है, जिसमें लोग बांस बल्ली के साथ झंडी और अन्य चीजें बांधकर नाचते-गाते हुए आते हैं।
मंदिर पर 1986 में एक ट्रस्ट का गठन हुआ, इसके बाद दिन वह दिन मंदिर पर विकास कार्य हो रहे हैं, मंदिर को आज भव्य रूप दिया जा चुका है। पिछली साल 2024 में योगी सरकार की तरफ से जिले में इस मंदिर में देवी जागरण और सुंदरकांड का पाठ आयोजित कराया गया था। 2025 में योगी सरकार ने मंदिर के बेहतर कायाकल्प के लिए 1 करोड़ की राशि भी स्वीकृति की हैं।
क्षेत्रीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि राजस्थान के करौली केला मैया मंदिर पर जाने वाली श्रद्धालु जब तक इटोरा केला देवी मंदिर पर दर्शन नहीं करते उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।





