उत्तर प्रदेश में जल्द बंद हो सकते है 27 हजार से अधिक स्कूल, विलय कि बात पर सियासत गरमाई मायावती बोली- फैसला उचित नहीं

यूपी में 2,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के दूसरे स्‍कूलों में विलय की तैयारियों पर सवाल उठाया है। ऐसे स्कूल बंद हो सकते हैं जिनमें छात्र संख्या पचास से कम है। वहीं जर्जर विद्यालयों को भी एक महीने में ध्वस्त कराने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है। इस तरह के निर्देशों के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है। बसपा सुप्रीमों मायावती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है। दोनों ने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म ‘एक्‍स’ पर शनिवार को ट्वीट किया।

मायावती ने अपने एक्‍स अकाउंट पर 3 पोस्ट लिखी

मायावती ने लिखा- 1. यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे?

2. यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित।

3. सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसाकि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं।

प्रियंका गांधी ने कहा कि यह दलित और पिछड़ों के खिलाफ फैसला 

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला सही नहीं लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो। कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो।

डीजी कंचन वर्मा ने हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में इस बावत सभी बीएसए को निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि इस मामले पर 13 या 14 नवंबर को बैठक करेंगी। उसमें सभी वीएसए से पूरी तैयारी से आने को कहा गया है। इसे ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जाए कि उस ग्राम पंचायत में मानक विद्यालय है या नहीं। किस विद्यालय को पास के अन्य विद्यालय में मर्ज किया जा सकता है। बच्चों को कितनी दूरी तय करनी होगी, भवन व शिक्षकों, परिवहन की उपलब्धता, नहर, नाला, सड़क या हाईवे आदि को देखते हुए हर विद्यालय के लिए रिपोर्ट तैयार की जाए।

राइट टु एजुकेशन (RTE) के अनुसार- एक किमी की परिधि में एक प्राइमरी स्कूल और तीन किमी की परिधि में एक अपर प्राइमरी स्कूल होना चाहिए। यह नियम इसलिए बनाया गया था ताकि किसी भी बच्चे को स्कूल से दूरी के कारण शिक्षा से वंचित न रहना पड़े। स्कूलों का मर्जर हुआ तो इस नियम का उल्लंघन होना तय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *