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“वंदे मातरम्” सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक संकल्प है जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

Published On: December 8, 2025
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संसद के शीतकालीन सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है। प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा की शुरुआत की। पीएम ने कहा कि आज हम इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं, जब सदन में इसकी चर्चा हो रही है।
लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई बहस में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने अपनी बात रखी। इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने वंदेमातरम् पर चर्चा का जवाब दिया। अखिलेश यादव ने वंदे मातरम ने देश को एक किया और आज़ादी की लड़ाई में जान डाली।

सत्ता पक्ष हर चीज पर कब्जा करना चाहता है। सत्ता पक्ष हमेशा सब कुछ अपना बनाना चाहता है। ये लोग हर बात का श्रेय लेने चाहते हैं, जो महापुरुष इनके नहीं हैं, ये लोग उनपर भी कब्जा करने की कोशिश करते हैं। इनकी बातों से ऐसा लगता है कि वंदे मातरम् भी इन्हीं का बनवाया हुआ गीत है।
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि “वंदे मातरम्” केवल पठन का विषय नहीं, बल्कि आचरण का विषय है। उन्होंने सवाल किया कि जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में कभी भाग नहीं लिया, वे इस राष्ट्रीय गीत के महत्व को कैसे समझेंगे? उन्होंने ऐसे लोगों को ‘राष्ट्रवादी’ की बजाय ‘राष्ट्रवादी लोग’ कहकर कटाक्ष किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि “देश के महापुरुषों का सपना था स्वतंत्र भारत, देश की आज की पीढ़ी का सपना है समृद्ध भारत। आज़ाद भारत के सपने को सींचा था वंदे मातरम् की भावना ने, समृद्ध भारत के सपने को सीचेंगा वंदे मातरम् की भावना। हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है, 2047 तक विकसित भारत बनाना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर कहा, “भारत पर जब-जब संकट आए देश वंदे मातरम् की भावना के साथ आगे बढ़ता रहा… आज भी जब भी 15 अगस्त या 26 जनवरी का ज़िक्र होता है, या ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की बात आती है, तो यही भावना चारों ओर दिखाई देती है… और जब देश की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास किया गया, संविधान की पीठ पर छूरा घोंप दिया गया, आपातकाल थोपा गया तो यही वंदे मातरम् की ताकत थी कि देश खड़ा हुआ। देश पर जब भी युद्ध थोपे गए, जब संघर्ष की घड़ी आई, तब ‘वंदे मातरम्’ के इसी भाव ने देश के जवानों को सीमाओं पर डटे रहने की शक्ति दी, जिसके परिणामस्वरूप माँ भारती का झंडा ऊँचाई पर लहराता रहा और हमें विजय प्राप्त होती रही।

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