मोदी के माफी मांगने की उठ रही आवाज, विपक्ष का प्रदर्शन लगातार जारी
अब क्या करेगी महाराष्ट्र सरकार, एकनाथ सिंदे बोले 100 बार पैर छूने को तैयार हूं
बड़े ही शर्म की बात है आज हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना बड़ चुका है कि महाराष्ट्र के करोड़ों लोगों और हिंदुस्तान के अरबों लोगों के स्वाभिमान का प्रतीक क्षत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को इस तरह बनाया गया कि वो महज नौ महीने में आज टूट गई। शिवाजी महाराज की इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किए थे. वीर शिवाजी शान, स्वभिमान, प्रतिष्ठा के लिए जाने जाते है. लेकिन देखिए उन्हीं वीर शिवाजी की प्रमिता भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। भ्रष्टाचार के वजह से प्रतिमा टूट कर गिर गई। महाराष्ट्र के लोग चाहते है, की मोदी मांफी मांगे। हम आपको इस खबर में वीर शिवाजी की प्रमिता टूटने की वजह, उसकी लागत और विपक्ष के हंगामे के पीछे की पूरी वजह बताएंगे लेकिन उससे पहले आप हमें बता दीजिए कि क्या पीएम मोदी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। अपना जबाव हमें कमेंट करके जरूर बताएं। बता दें कि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने पर एकनाथ शिंदे की सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इस बीच सरकार में शामिल अजित पवार की पार्टी एनसीपी ने इसके खिलाफ मौन प्रदर्शन किया. एनसीपी ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. शिवाजी की मूर्ति ढहने पर दबाव में एकनाथ शिंदे, बोले- 100 बार पैर छूने और माफी मांगने के लिए तैयार हूं छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की घटना को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आलोचनाओं से घिरे हैं। विपक्ष के लगातार बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह इस पराक्रमी शासक के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए माफी मांगने में संकोच नहीं करेंगे। यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शिंदे ने कहा कि विपक्ष के पास राजनीति करने के लिए अन्य मुद्दे भी हैं, लेकिन महाराष्ट्र में पूजनीय शिवाजी महाराज को इससे दूर रखा जाना चाहिए।सिंधुदुर्ग जिले में चार दिन पहले मूर्ति गिरने की घटना के कारण गर्मागर्मी के बीच राज्य सरकार ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व में सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्यों ने घटना के विरोध में पूरे महाराष्ट्र में मौन विरोध प्रदर्शन किया।शिंदे ने जोर देकर कहा, कि छत्रपति शिवाजी महाराष्ट्र के संरक्षक देवता हैं। मैं 100 बार उनके पैर छूने और (मूर्ति टूटने की घटना के लिए) माफी मांगने को तैयार हूं। मैं माफी मांगने से पीछे नहीं हटूंगा। हमारी सरकार उनके (शिवाजी के) आदर्शों को ध्यान में रखकर काम करती है। उनकी यह टिप्पणी अजित पवार द्वारा राज्य के लोगों से प्रतिमा ढहने के लिए माफी मांगने के एक दिन बाद आई है। इसे मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर तटीय जिले की मालवण तहसील में स्थापित किया गया था। इस बीच शिवसेना-यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार से लिप्त राज्य में सरकार चल रही है. दो-तीन दिन पहले बंद की अपील की गई थी, लेकिन कोर्ट आदेश के बाद नहीं हुआ. सिंधुदुर्ग में मोर्चा निकाला गया है. शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई है. भगत सिंह कोश्यारी समुद्र किनारे राजभवन में रहते थे, लेकिन उनकी टोपी कभी नहीं उड़ी. मूर्ति कैसे हवा से गिर गई? बता दें कि सिंधुदुर्ग की मालवण तहसील में राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई थी. इसका अनावरण करीब नौ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने पर 3600 करोड़ रुपये की लागत आई थी. 1 नवंबर 2018 महाराष्ट्र कैबिनेट ने प्रोजेक्ट को एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दिया था और 3700.84 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई थी, जिसमें साइट का सर्वेक्षण और जांच से लेकर पुलिस द्वारा सुरक्षा उपाय शामिल थे. अब चूंकि महाराष्ट्र में चुनाव आने वाले हैं तो विपक्ष इस घटना को बड़े मुद्दे के रूप में भुनाना चाहता है। यह घटना एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है और विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने इसे लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर निशाना साधा है गाहे बगाहे मूर्ति टूटने के कारणों का तो पता लग ही जाएगा लेकिन आप मूर्ति के निर्माण में हुए घोटाले को किस पैमाने पर आंकते हैं।
ब्युरो रिपोर्ट tnf today