भगवान श्री राम के प्रति माता सीता का समर्पण ऐसा था कि उनसे दूर रहने के बाद भी वो एक पल के लिए अपने प्रभु से अलग नहीं हो पाई। चाहे रावण की कैद में रहना हो या वनवास का समय।
मां सीता के मन मंदिर में सदैव राघव की मूर्ति विराजमान थी। यही वजह है कि लंका में रहने के बावजूद रावण माता जानकी को कभी स्पर्श तक नहीं कर पाया। इसके अलावा एक घास का तिनका भी मााता सीता की सुरक्षा कवच बना था, जिसके रहते हुए रावण जनक नंदिनी के आसपास भी नहीं भटक सकता था। तो चलिए आज जानते हैं कि रावण इतना शक्तिशाली और ज्ञानी होने के बावजूद एक घस के तिनके को देख क्यों थर-थर कांपता था।
एक घास के तिनके से क्यों डरता था रावण? (Why was Ravana afraid of a blade of grass?)
रावण ने जब माता सीता का हरण करके लंका ले गया तब वहां सीता जी अशोक वाटिका में वृक्ष के नीचे प्रभु श्री राम का स्मरण करने लगी। रावण उन्हें धमकाता लंका सुख का लोभ देता लेकिन मां सीता खामोश रहती। यहां तक एक बार रावण भगवान राम का वेश धारण कर देवी सीता को छलने की कोशिश करने लगा लेकिन इसमें भी वह सफल नहीं हुआ। लंका में कैद रहने के बाद भी रावण मां सीता को कभी स्पर्श तक नहीं कर सकता है। जब भी रावण मां सीता के पास आता था वह अपने हाथों में घास का तिनका ले लेती थी। इसे देखकर रावण डर कर उनसे दूर हो जाता था। दरअसल, इसकी पीछे राणव को मिला श्राप था। उसे एक पतिव्रता, तपस्विनी स्त्री ने श्राप दिया था कि वह किसी भी स्त्री को बिना उसकी मर्जी के छू तक नहीं सकेगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार रावण ने एक सुंदर तपस्विनी का स्त्रीत्व भंग कर दिया तब उन्होंने श्राप दिया की वह आज के बाद बिनी किसी स्त्री के इजाजत के उसे स्पर्श तक नहीं कर पाएगा और अगर पास जाने की कोशिश की तो वह भस्म हो जाएगा। तपस्विनी ने यह भी कहा कि आज के बाद अगर कोई स्त्री रावण के सामने घास का तिनका उठाएगी वह तिनका रावण को उसी समय भस्म कर देगा। यही वजह है कि माता सीता के हाथों में घास का तिनका देखकर भयभीत हो जाता था और उनके समीप नहीं जाता था।